पद्मभूषण से सम्मानित गीतकार गोपालदास नीरज का गुरुवार शाम निधन हो गया। उन्हें महाकवि भी कहा जाता था। वे 93 वर्ष के थे। साहित्य और फिल्मों में गीत रचना के लिए उन्हें अगली शताब्दी तक याद रखा जाएगा। गीत रचना,साहित्य में आजकल वैसे भी कम है, पर जो भी है वो नीरज , केदार नाथ , सर्वेश्वर दयाल जैसे गीतकारों की वजह से है।हिंदी और उर्दू को आटा और पानी की तरह मिला कर गूंथ कर सुंदर रुचिकर रोटियां परोसने वाले महात्मन को दिल से सलाम है। उनकी मृत्यु पर अश्रुसिक्त श्रद्धांजलि।
फिल्मों में लिखे कुछ उत्कृष्ट सहतयिक गीत निम्न हैं-
1. फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखे रोज पाती (फिल्म: प्रेम पुजारी)
2. शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब (फिल्म: प्रेम पुजारी)
3. रंगीला रे, तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन, छलिया रे न बुझे है किसी जल से ये जलन (फिल्म: प्रेम पुजारी)
4. लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (फिल्म:कन्यादान )
5. खिलते हैं गुल यहां, खिल के बिखरने को (फिल्म: शर्मीली)
6. ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली (फिल्म:शर्मीली)
7. आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन (फिल्म:शर्मीली)
7. चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है, देखो-देखो टूटे न (फिल्म:गैम्बलर)
8. दिल आज शायर है, गम आज नगमा है.. शब ये गजल है सनम (फिल्
कारवां गुज़र गया,गुबार देखते रहे आखिर कौन भूल सकता है। और आखिर शान से कारवां गुज़र ही गया….
-रणविजय।