सापेक्षता सिद्धांत जीवन मे

सापेक्षता सिद्धांत जीवन मे

सापेक्षता(Relativity) का सिद्धांत आइंस्टीन ने 20वीं सदी के पहले दशक में दिया था।गणित विज्ञान सब आकर जीवन के फलसफा पर भी फिट बैठते हैं। इसलिए बड़े वैज्ञानिक और गणितज्ञ दर्शनशास्त्री भी हुए । न्यूटन का नाम इसमें प्रमुखता से लिया जा सकता है।
बहरहाल, जीवन की सापेक्षता की बात करते हैं। कुछ साधारण उदाहरण
1. मैं दुखी रहूंगा क्योंकि मेरा पड़ोसी सुखी है। या इसका उल्टा।
2. मुझे वो चाहिए जो सब के पास नही हो।
3.यदि ज़िंदगी भाग रही हो तो मैं ठहरना चाहता हूं। या उल्टा।
4. एग्जाम टाइम में मैं सोना चाहता हूं। या रात में पढ़ना।

ऐसे उदाहरण आप भी जोड़ सकते हैं।♥

#  चित्र, साभार इंटरनेट

पढ़ाई से इंजीनियर , व्यवसाय से ब्यूरोक्रेट तथा फितरत से साहित्यकार हैं ‘ रणविजय’।

वर्दी वाले बहुत कुछ मैनेज कर सकते हैं, ख़ास कर जो चीज अवैध हो।

-रणविजय

( भोर: उसके हिस्से की )