Contact Us

CONTACT US

like my facebook page

Follow me on Instagram

Follow me on twitter

पढ़ाई से इंजीनियर , व्यवसाय से ब्यूरोक्रेट तथा फितरत से साहित्यकार हैं ‘ रणविजय’।

” चोट का असर लगने में नहीं अनुभव करने में होता है। आत्मा पर लगी चोट, शरीर की चोट से ज्यादा गहरी और पीड़ादायी होती है।

-रणविजय

( भोर: उसके हिस्से की )