तेरी बाहों में..

तेरी बाहों में..

मजबूर हो ,तेरे होंठों की लाली चुरा ली मैने आज,
गालों पर तेरे दांतों का हल्का निशान कर दिया।
तुम शरमाई, सिमटी सी खड़ी रही,
बाहें खोल कर मैंने सारा आसमान भर लिया।।

पढ़ाई से इंजीनियर , व्यवसाय से ब्यूरोक्रेट तथा फितरत से साहित्यकार हैं ‘ रणविजय’।

वर्दी वाले बहुत कुछ मैनेज कर सकते हैं, ख़ास कर जो चीज अवैध हो।

-रणविजय

( भोर: उसके हिस्से की )